भूपेश सरकार में लगातार क्यों कम की गई गन्ना प्रोत्साहन राशि,भूपेश बघेल की झूठ बोलने की आदत नही गई : संदीप शर्मा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ किसान नेता व प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ‘एक्स’ पोस्ट पर चुनौती देते हुए कहा है कि कांग्रेस की पिछली भूपेश सरकार ने लगातार गन्ने की प्रोत्साहन राशि हर साल घटाई, बघेल पहले उस पर जवाब दें। श्री शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हर स्तर पर प्रदेश के किसानों के साथ छल-कपट और धोखाधड़ी का कलंक लिए फिर रहे बघेल को अब किसानों के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाने और प्रदेश को दिग्भ्रमित करने में शर्म महसूस करनी चाहिए।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि बघेल अब गन्ने की प्रोत्साहन राशि के विषय में किसी भी प्रकार का सवाल-जवाब करने का अपना अधिकार खो चुके हैं। बघेल पहले तो यह बताएँ कि गन्ने की प्रोत्साहन राशि सन 2020-21 में 93.75 रुपए से घटकर 84.25 रुपए क्यों की गई? फिर 2021-22 में यह प्रोत्साहन राशि 84.25 रुपए से घटाकर 79.50 रुपए, और 2022-23 में 79.50 रुपए से घटाकर 72.88 रुपए क्यों की गई? अपने पूरे कार्यकाल में गन्ने की प्रोत्साहन राशि में 20.87 रुपए की कटौती करके किसानों की खुली लूट मचाने वाले बघेल अपने कृत्यों पर क्यों नहीं बोलते? गन्ना में प्रति पंजीकृत किसान को 50 किलो शक्कर भाजपा सरकार मुफ्त देती थी जिसे भूपेश बघेल ने बंद कर दिया था। पाँच वर्षों तक उन किसानों की शक्कर तक खा गए! अब भाजपा के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने सत्ता में आते ही गन्ना उत्पादक किसानों के हक की 50 किलो मुफ्त शक्कर पुनः देना प्रारंभ किया है। श्री शर्मा ने कहा कि कदम-कदम पर किसानों के शोषण की सारी हदें पार कर चुकी पिछली कांग्रेस सरकार के मुखिया के तौर पर अब बघेल जो प्रलाप करके किसानों को उकसाने और उसकी आड़ में प्रदेश में अराजकता फैलाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं क्योंकि प्रदेश का किसान अब बघेल और कांग्रेसियों के झाँसे में कतई नहीं आने वाले हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल जैसे लबरा कांग्रेस नेता नहीं देखे गए हैं। हर बात पर झूठ फैलाने में माहिर हो चले बघेल गन्ने की बोनस राशि में कटौती का आरोप लगाने से पहले विगत 5 वर्षों की विवरण सूची देख लें, तो स्पष्ट हो जाएगा कि 355 रुपए गन्ने का कुल भुगतान (मूल भुगतान और बोनस को जोड़कर) पूर्व की भांति इस वर्ष भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहे बघेल का इस प्रकार से भ्रम फैलाना और झूठ बोलना उनके राजनीतिक दीवालिएपन को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। श्री शर्मा ने पेराई सत्रवार एफआरपी व गन्ना प्रोत्साहन भुगतान राशि (बोनस राशि) की जानकारी देते हुए बताया कि पेराई सत्र 2019-20 गन्ने की एफआरपी दर (प्रति क्विंटल 9.5% रिकव्हरी के मान पर) प्रति क्विंटल 261.25 रु. थी और गन्ना प्रोत्साहन राशि 93.75 रु. प्रति क्विंटल के मान से दी गई। पेराई सत्र 2020-21 में गन्ने की एफआरपी दर (प्रति क्विंटल 9.5% रिकव्हरी के मान पर) प्रति क्विंटल 270.75 रु. थी और गन्ना प्रोत्साहन राशि 84.25 रु. प्रति क्विंटल के मान से दी गई। पेराई सत्र 2021-22 में गन्ने की एफआरपी दर (प्रति क्विंटल 9.5% रिकव्हरी के मान पर) प्रति क्विंटल 275.50 रु. थी और गन्ना प्रोत्साहन राशि 79.50 रु. प्रति क्विंटल के मान से दी गई। पेराई सत्र 2022-23 में गन्ने की एफआरपी दर (प्रति क्विंटल 9.5% रिकव्हरी के मान पर) प्रति क्विंटल 282.12 रु. थी और गन्ना प्रोत्साहन राशि 72.88 रु. प्रति क्विंटल के मान से दी गई। पेराई सत्र 2023-24 में गन्ने की एफआरपी दर (प्रति क्विंटल 9.5% रिकव्हरी के मान पर) प्रति क्विंटल 291.97 रु. थी और गन्ना प्रोत्साहन राशि 63.03 रु. प्रति क्विंटल के मान से दी गई।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को यह भी बताना चाहिए कि कांग्रेस ने वादा किया था कि उसकी सरकार किसानों को धान की कीमत 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल देगी, लेकिन सन 2019-20 में धान की कीमत मात्र 2435 रुपए और 2020-21 में धान की कीमत मात्र 2468 रुपए दिए गए। आज बघेल, दीपक बैज किस मुँह से किसानों को 3217 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान करने की मांग कर रहे है? अपने शासनकाल में भूपेश सरकार ने किसानों को धान का वादे से भी कम भुगतान करके किसानों से यह रुपया लूट लूटकर पैसा इकट्ठा किया! यह रुपया कहाँ और किसकी तिजोरी में गया, बघेल को यह भी बताना चाहिए। किसानों के साथ विश्वासघात करने वाले बघेल और कांग्रेसियों को किसी भी प्रकार से सवाल-जवाब करने का कोई अधिकार नहीं है। उनके इन कृत्यों का करारा जवाब छत्तीसगढ़ की जनता ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दे दिया है। भूपेश बघेल, दीपक बैज समेत तमाम कांग्रेसी इस जवाब के निहितार्थ के जितनी जल्दी समझ सकें, कांग्रेस की राजनीतिक सेहत के लिए उतना दुरुस्त रहेगा।
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