मासिक धर्म के दौरान रेस्ट रूम की अनिवार्यता: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान दफ्तरों और सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के लिए रेस्ट रूम और टॉयलेट जैसी सुविधाओं की कमी को गंभीर मुद्दा बताया। कोर्ट ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान कामकाजी महिलाओं को अतिरिक्त शारीरिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन सुविधाओं को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की पीड़ा पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने गर्भपात और महिलाओं की शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कार्यक्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव को गंभीरता से समझने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि समाज और संस्थानों को इन परिस्थितियों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और महिलाओं के लिए एक सहानुभूतिपूर्ण माहौल बनाना चाहिए।
कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थलों में सुधार की आवश्यकता
राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों ने महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति समाज और संस्थानों की जिम्मेदारी को रेखांकित किया। कार्यस्थलों पर स्वच्छता, आरामदायक रेस्ट रूम और अन्य सुविधाएं महिलाओं की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर महिला टॉयलेट की कमी पर हाईकोर्ट की नाराजगी
हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर महिला टॉयलेट की कमी को प्राथमिकता से दूर करने की बात कही। यह समस्या न केवल महिलाओं के लिए असुविधा पैदा करती है, बल्कि यह उनके अधिकारों का भी उल्लंघन है।
महिला सशक्तिकरण और समावेशी समाज की दिशा में कदम
इन अदालतों की टिप्पणियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह कदम महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ एक स्वस्थ और समावेशी समाज के निर्माण में सहायक होगा।
समाज और संस्थानों से ठोस कदम उठाने की अपील
अब समय आ गया है कि समाज और संस्थान महिलाओं की इन समस्याओं को गंभीरता से लें और उनकी बेहतरी के लिए ठोस उपाय करें।