लोकेशन के लिए वन विभाग हाथियों के गले में लगाएगा कॉलर आईडी

 गरियाबंद जिले के घनघोर जंगलों के उदंती ,सीतानदी अभ्यारण वन क्षेत्र में लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है हाथियों का झुंड गरियाबंद जिले में जंगली हाथियों को बढ़ती आमद को देखते हुए अब वन विभाग ने हाथियों की लोकेशन जानने कालर आईडी लगाने की योजना तैयार की है जानकारी के मुताबिक विभाग ने पहले फेस में सिकासार डेम क्षेत्र के हाथी दल पर कालर आईडी लगाने का निर्णय लिया है । इस दल में लगभग 33-34 हाथी है सबसे ज्यादा नुकसान और खतरे का डर इसी दल रहता है।

जिले में बीते 6 -7 साल में हाथियों की आमद काफी बढ़ गई है जिले में करीब 58 से अधिक जंगली हाथी जिले के अलग- अलग जंगल क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। इसमें 5 दतेल हाथी भी शामिल है। वन विभाग के मुताबिक इसे रोहासी, चंदादल, और सिकासार दल के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में सिकासार दल पड़ोसी जिले धमतरी में के नगरी परिक्षेत्र में है वही दो दतैंल हाथी सिकासार होते हुए एक सप्ताह पहले ही ओडिशा पहुॅचे है। इसके अलावा तीन दतैल हाथी धमतरी के सिंगपुर क्षेत्र में है। इसके अलावा 20 हाथी का दल बालोद जिले में पहुॅच गया है। वन विभाग इसमें नजर बनाए हुए है, लेकिन कालर आईडी नही लगने के कारण विभाग को हाथियो के वास्वविक लोकेशन को लेकर परेशानी होती है हाथी का दल कभी भी कही भी किसी भी दिशा मे पहुॅच जाता है। अनुमानित लोकेशन होने के चलते वन विभाग को कई बार ग्रामीणो को सजग करने, संभावित गांव में मुनादी करने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिक्कतो का सामना करना पड़ा है। इसके कारण जानमाल की हानि हो भी चुकी है अब विभाग के लिए ही यह चुनौती बन गया है कि कैसे हाथियों को जंगल तक रखा जाए और कैसे उन पर नजर रखी जाए। इसके मददेनजर अब विभाग ने कालर आईडी लगाने की योजना की तैयार की है।

*दल से बिछडा़ दतैंल हाथी फिर पहुंचा आमामोरा वन क्षेत्र*

दल से बिछड़ा एक हाथी जो काफी खतरनाक है और मैनपुर धवलपुर क्षेत्र में इस हाथी के द्वारा तीन लोगो को मौत के घाट उतारा जा चुका है। यह हाथी वापस ओड़िशा सोनाबेड़ा जंगल पहुंच गया था , लेकिन दीपावली के दो दिन पहले फिर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कुल्हाड़ीघाट वन परिक्षेत्र के आमामोरा ओड़ जंगल वन क्षेत्र में पहुंच गया है , जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत देखने को मिल रही है। किसानों की साल भर की मेहनत धान की फसल पकड़कर खेतों में तैयार खड़ी है और ऐसे समय पर हाथियों का पहुंचना वहां के नागरिकों में एक भय व्याप्त कर रहा है ।

* टैकुलाइज कर हाथी को पहनाई जाती है काॅलर आईडी *

हाथीयों के विशेषज्ञ बताते है हाथियों के परफेक्ट लोकेशन जानने के लिए दल के एक या दो हाथियों के गले पर काॅलर आईडी लगाई जाती है। काॅलर आईडी लगाने के लिए हाथी के दल पर कई दिनो पहले से नजर रखनी पड़तीं है और बड़ी सावधानी से टैकुलाइज कर हाथी को बेहोश कर उसके गले में काॅलर आईडी लगाया जाता है। इस कार्य को करने में बड़ी सावधानी के साथ उच्च स्तरीय अनुमति प्राप्त करनी पड़तीं है । जिसके कारण हाथियों को काॅलर आईडी लगाने में लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है।

*कॉलर आईडी लगाने के संबंध में एसडीओ वन विभाग के विचार *

हाथियों के गले में कॉलर आईडी लगाने की संबंध में वन विभाग के एसडीओ राजेंद्र सोरी ने बताया कि हाथियों की संख्या बढ़ने और अलग अलग क्षेत्र में विचरण करने से नजर रखने में दिक्कत हो रही है । इसलिए कालर आईडी लगाने का निर्णय लिया गया है। पहले हाथियों के सिकासार डेम के पास वाले दल में कॉलर आईडी लगाए जाने की तैयारी है, जिससे इसके लोकेशन का पता वन विभाग को लगातार मिलता रहेगा । क्योंकि यह क्षेत्र उड़ीसा की सीमा रेखा से लगा हुआ है श्री सोरी ने बताया पिछले दिनों कर्नाटक से वाइल्ड लाईफ की टीम के सदस्य क्षेत्र के हाथी प्रभावित जंगलो में पहुंचकर हाथियों के आवागमन रास्तों का अध्यन किया है। जल्द ही काॅलर आईडी लगाने की दिशा में कार्य प्रारंभ होगा।

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