रायपुर। भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर के बयान पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर को राजभवन जाकर सरकार के द्वारा राजभवन को भेजे गए 10 सवालों का जवाब पढ़ लेना चाहिए।
वैसे भी सरकार विधेयक के मामले में राजभवन के सवालों का जवाब दे ऐसी कोई नियमावली नहीं है। फिर भी सरकार ने राज्यपाल जी के सम्मान में 10 सवालों का जवाब दिया है। अब यदि राज्यपाल महोदय असंतुष्ट हैं।
आरक्षण विधेयक में उन्हें किसी प्रकार की आपत्ति है तो उन्हें विधेयक को सरकार को लौटा देना चाहिए। ताकि सरकार इस विधेयक पर राजभवन की आपत्ति का निराकरण कर पुनः हस्ताक्षर हेतु भेज सकें। राजभवन के सवालों का जवाब देने से विधायक में सुधार राजभवन नहीं कर सकता सुधार करने का काम सरकार का है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर को राज्यपाल महोदय ने नियुक्त नहीं किया है जो राजभवन की परोकारी कर रहे है।
देवलाल ठाकुर को क्या नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल पर भरोसा नही है? तभी वो उलजुलूल बयानबाजी कर एक प्रकार से 76 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का विरोध कर रहे है? ऐसा लगता है कि 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को लेकर भाजपा संगठन और भाजपा विधायक दल में मतभेद है तभी भाजपा विधायक दल जिस बिल को सदन में सर्वसम्मति से समर्थन की है उसका भाजपा संगठन विरोध कर रही है?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता देव लाल ठाकुर को राज्य सरकार से सवाल पूछने के बजाय अपने नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल और भाजपा विधायकों से सवाल पूछना चाहिए कि उन्होंने किस आधार पर 76 प्रतिशत आरक्षण बिल को सदन में समर्थन दिया है? राज्य सरकार के द्वारा 76 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में सदन में जो बातें रखी गई नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने उसका समर्थन किया है,
सदन में भाजपा विधायक दल इस विधेयक का समर्थन करती है और जब राजभवन में विधायक अटक जाता है तब भाजपा का संगठन सड़क पर आरक्षण विरोधी कार्य करती है। भाजपा का दोगला चरित्र प्रदेश के 76 प्रतिशत आरक्षित वर्ग देख रहा है कि आखिर भाजपा किस प्रकार से उन वर्गों के आरक्षण के कानूनी अधिकार को रोकने का षड्यंत्र कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी राजभवन की आड़ में भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक घिनोने मंसूबे को पूरा कर रही है।
राजभवन को मिले संवैधानिक अधिकारों पर अप्रत्यक्ष रूप से अतिक्रमण कर रही है। राजभवन के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है। पूर्व में भी महाराष्ट्र गोवा कर्नाटक सहित अन्य प्रदेशों में देखा गया है। किस प्रकार से राजभवन का दबावपूर्वक इस्तेमाल किया गया है। आजादी के बाद पहली बार हो रहा है केंद्र की सत्ता में बैठा दल भाजपा राजभवन को अपने राजनीतिक अखाड़े का प्लेटफार्म बनाकर दूषित राजनीति कर रही है।