रायपुर , २६ फ़रवरी : पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। जहाँ महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो, वह राज्य और देश जरूर उथान करता है. इसी कथन को ध्यान में रखते हुए , श्री गणेश विनायक फाउंडेशन ने ३० निर्भीक और प्रभावशाली महिलाओं का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ महतारी सम्मान प्रदान करा गया ।
श्री गणेश विनायक फाउंडेशन ने समाज में सकरात्मक बदलाव के लिए काफी समय से विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी ही सक्रियता के साथ काम करने वाली महिलाओं का छत्तीसगढ़ी महतारी सम्मान समारोह का आयोजन करा .
कार्यक्रम के मुख्य अथिति श्रीमती शताब्दी पांडे, पूर्व अध्यक्ष बाल सरंक्षण आयोग्य, छत्तीसगढ़ शासन एवं विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ के रासखानं मीर अली मीर, प्रख्यात कवि , डॉ अनिल गुप्ता , अध्यक्ष श्री गणेश विनायक फाउंडेशन व डॉ चारुदत्त कलमकार , सेक्रेटरी श्री गणेश विनायक फाउंडेशन के हांथो इन महिलाओ को सम्मान प्रदान किया गया।
कोपलवाणी के मुख बधिर बच्चो ने कार्यक्रम की शुरुवात छत्तीसगढ़ लोक गीत पर मनमोहक नृत्य करके दी।*हर्षा साहू , वर्णिका शर्मा ,आमना मीर अली , उर्मिला नाद पानिकर , मनीषा अग्रवाल, शिल्पी गोयल , सुभांगी आप्टे , सुनीता चंसोरिया , आरती उपाध्या , मधु यादव , पद्मा शर्मा , विद्या राजपूत , डॉक्टर भैरवी वैष्णव , पल्लवी पांडेय , सरोज पांडेय , चंद्रकांता ओसवाल, कंचन पुसदकर, परम चंडोक , राखी बैद , सुरभि सिंह , लक्मी कुमार , सरिता दुबे , प्रियंका अग्रवाल गुप्ता, रजनी ठाकुर , दिव्या दुबे , रचना नितेश , आकृति अग्रवाल, दिव्या पटेल, सुदेशना रुहान ,
डॉ संस्कृति सिंह व डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव को सम्मानित करा गया। मंच का संचालन जानी मानी साहित्यकार व उद्घोषिका डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव द्वारा करा गया।
डॉ अनिल गुप्ता , प्रेजिडेंट , श्री गणेश विनायक फाउंडेशन ने कहा की ” बहुत हर्ष होता है ये देखते हुए की छोटी छोटी बूंदो से घड़ा भरता है। सामजिक दायित्वो का निर्वाह करते हुए हमने एक कोशिश करि है उन महिलाओं को सम्मानित करने की जिनके छोटी छोटी कोशिश से आज समाज में बदलाव आ रहा है। महिला सशक्तिकरण यही है जहाँ महिलाऐं घर के साथ साथ बाहरी जिम्मेदारी भी बखूभी निभा रही है।
डॉ चारुदत्त कलमकार ने कहा की ” हम शुक्रगुज़ार हैं इन महिलाओं का जो छत्तीसगढ़ की माटी को अपने अपने ढंग से सींच रही हैं। ये सिर्फ एक प्रोत्साहन है ताकि और महिलाऐं आगे बढ़कर इस तरह का काम करें।