छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग से जुड़े तीनों मामलों की प्रोसिडिंग को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में जीपी सिंह को झूठे आरोपों में फंसाया गया और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
राजद्रोह का मामला रद्द, झूठे आरोपों का जिक्र
हाईकोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के केस को भी खारिज कर दिया है। जुलाई 2021 में उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से झूठे केस दर्ज कर किसी अधिकारी को परेशान करना न्यायसंगत नहीं है।
आय से अधिक संपत्ति का मामला भी खत्म
जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और संवेदनशील दस्तावेज मिलने का आरोप था। एसीबी ने इस आधार पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया।
कैट के फैसले के बाद बहाली को मिली हरी झंडी
कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) ने पहले ही जीपी सिंह की बहाली का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता से राय ली थी। महाधिवक्ता ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि कैट के फैसले के खिलाफ अपील करना अनुचित होगा। इसी आधार पर राज्य सरकार ने फाइल केंद्र को भेज दी।
क्या था मामला?
जुलाई 2021 में जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।
उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने और ब्लैकमेलिंग का भी आरोप था।
जुलाई 2021 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया, और जनवरी 2022 में उन्हें नोएडा से गिरफ्तार किया गया था।
अब क्या होगा?
राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय के बाद जल्द ही जीपी सिंह की पोस्टिंग का आदेश गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा। इस फैसले के बाद जीपी सिंह के करियर पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट गए हैं।