दंतेवाड़ा के अरनपुर में हुये नक्सल हमले की कांग्रेस कड़ी निंदा करती है। वीर जवानों की शहादत को नमन है। नक्सलियों के मंसूबे पूरे नहीं होंगे, शांति के लिये जारी अभियान नहीं रूकेगा। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अरनपुर नक्सली हमले के संदर्भ में भाजपा नेताओं का बयान बेहद ही दुर्भाग्यजनक और गैर जिम्मेदाराना है। 15 साल तक प्रदेश में सरकार में रही भाजपा नक्सली घटना पर निम्नस्तरीय बयान देकर वीर जवानों की शहादत का अपमान कर रही है। नक्सली घटना के बाद भाजपा द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया जवानों को हतोत्साहित करने वाली है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी खात्मे की ओर है तो इसके पीछे हमारे जवानो की मेहनत और उनकी जांबाजी है। चोरी छुपे बम लगाकर पीछे से घात करके नक्सली सुरक्षा बलों का नुकसान करने में भले ही सफल हो गये है। लेकिन पिछले साढ़े चार साल में हमारे जवानों ने नक्सलवादियों की कमर तोड़ कर रख दिया है।केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह बयान देकर गये थे कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद समाप्ति की ओर है राज्य के भाजपाई उनसे अलग बयान दे रहे है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शहादत की तुलना सरकारों के आधार पर नहीं करनी चाहिये लेकिन अरनपुर की दुर्भाग्यजनक घटना के बाद भाजपा के नेता जो बयान दे रहे है उन्हे रमन राज की इन दुर्दांत नक्सल हमलों का भी जवाब देना चाहिये। भाजपा राज में 6 अप्रैल 2010 में जिला दंतेवाड़ा के ताडमेटला में 76 सीआरपीएफ जवान, 24 अप्रैल 2017 में जिला सुकमा के दुर्गापाल 25 सीआरपीएफ जवान शहीद, 25 मई 2013 दरभा के जीरम, जिला बस्तर में महेन्द्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल सहित 30 लोग शहीद, 29 जून 2010 धोडाई जिला नारायणपुर 27 पुलिस जवान शहीद, 17 मई 2010 दंतेवाड़ा यात्री बस में 36 लोग शहीद (12 विशेष पुलिस अधिकारी सहित), 12 जुलाई 2009 मदनवाडा एसपी चौबे सहित 29 पुलिसकर्मी शहीद, 09 जुलाई 2007 उपलमेटा एर्राबोर 23 पुलिस कर्मी शहीद, 15 मार्च 2007 रानीबोदली बीजापुर 55 जवान शहीद हुये थे। भाजपा बताये इन शहादतों की जवाबदार कौन है?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बीते साढ़े चार साल में प्रदेश में नक्सलवादी गतिविधियों में 80 प्रतिशत की कमी हुई है नक्सलियों के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हुई है एनकाउंटर हुआ है अब नक्सली छत्तीसगढ़ छोड़कर भाग रहे। वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को यदि देखा जाए तो इस दौरान राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे, जो कि बीते साढ़े चार वर्षों में घटकर औसतन रूप से 250 तक रह गई है। वर्ष 2022 में मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं। राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं। वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं। नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी तेजी आई बीते साढ़े तीन वर्षों में 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है। बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं। दंतेवाड़ा जिले के 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव और कोंडागांव के 32 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त हुए हैं। दंतेवाड़ा पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे नक्सलियों के खिलाफ लोन वर्राटू (घर वापस आइए) अभियान के तहत लगातार नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं, पिछले डेढ़ सालों में अब तक 500 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, इनमें 137 नक्सलियों पर ईनाम घोषित है।