कलेक्टर डॉ. फरिहा आलम सिद्दीकी के निर्देशन में आज जिले में बच्चों के शरीर को कृमि मुक्त बनाने के उद्देश्य से जिले के सभी सरकारी, निजी स्कूलों, कॉलेजों, आईटीआई, पॉलीटेक्निक, आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्वास्थ्य केन्द्रों में 1 वर्ष से लेकर 19 वर्षीय तक के बालक-बालिकाओं को शत् प्रतिशत कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल खिलाई जाएगी। दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मितानिन, स्वास्थ्य कर्मियों, बिहान के समूहों, पंचायत कर्मियों और अन्य सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से अभियान के दौरान शतप्रतिशत बच्चो को कृमि नाशक गोली खिलाकर कृमि संक्रमण से मुक्ति दिलाई जाएगी।
दवा खिलाने के पूर्व सावधानियां –
दवा खिलाने के पूर्व दवा की एक्सपायरी डेट की जांच की जाए और बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। यदि पूर्व से किसी बीमारी के इलाज के लिए कोई दवा खा रहे हो, तो उन्हें कृमिनाशक दवा नहीं खिलाई जाए। किसी भी बच्चे को जबरदस्ती दवा नहीं खिलाई जाए।
दवा सेवन-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एफ आर निराला ने बताया कि 10 अगस्त को 1 से 2 वर्ष के बच्चों को 200 मिलीग्राम या आधी गोली, 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों को 400 मिलीग्राम या 1 गोली ,खाने के बाद सुपरवाइज डोज अर्थात दवा वितरक 1 से 3 वर्ष के बच्चों को पीसकर तथा 3 से 19 वर्ष के बच्चों को चबा कर अपने समक्ष ही खिलाई जावे तथा जो बच्चे 10 अगस्त को दवा लेने से वंचित हो जाए उन्हें मापअप राउंड के तहत 17 अगस्त को अनिवार्य रूप से दवा सेवन कराई जावे।
ड्यूटी में तैनात कर्मी दवा का सेवन अपने सामने खिलाएं। किसी भी परिस्थिति में दवा बच्चों या उनके पालकों को घर ले जाने के लिए नहीं दी जाए। दवा को बच्चों को पूरा चाबकर खाना है। किसी बच्चे के गले में अटक जाए तो बच्चों को अपनी गोद में छाती के बल लिटाकर पीठ में हल्के से थपथपाएं जिससे गले में फंसी गोली नीचे गिर जाए।
दवा खिलाने के बाद-
जिन बच्चों के शरीर में कृमि होंगे, उनके दवा खाने के बाद सामान्य प्रतिकूल प्रभाव जैसे पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त, थकान हो सकती है। ऐसे में उन्हें हवादार स्थान में आराम करने की व्यवस्था की जाए और पानी पिलाई जाए। ड्यूटी में तैनात कर्मी ऐसी स्थिति में अपने कन्ट्रोलिंग अधिकारी और नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित करें। इसकी सूचना टोल फ्री नंबर +91-18001803024 पर भी दी जा सकती है।
कृमि सामान्य बीमारी नहीं, कई गंभीर रोगों का कारण भी है
खंड चिकित्सा अधिकारी बरमकेला डॉ. अवधेश पाणिग्राही ने कृमि संक्रमण के विभिन्न चरणों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही संक्रमण पेट मे पहुँचता है लोगों को दस्त होता है,जब कृमि विकसित होकर रक्त में पहुँचता है तो रक्त कोशिकाओं का शिकार करता है जिससे रक्ताल्पता होती है। आगे जब संक्रमण फेफड़ा में पहुँचता है, तब निमोनिया और मष्तिस्क में पहुंचकर झटके आदि बीमारी के कारण बनते है।