भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में प्रेस ब्रीफ को संबोधित करते हुए भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों की वेतन विसंगति सुधारे जाने, मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कोविड कार्य में लगे अमले को विशेष कोरोना भत्ता दिए जाने और रिक्त पदों पर भर्ती जैसे मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी आंदोलनरत हैं। इस आंदोलन में 12 संगठन के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं. इससे पोस्टमार्टम, एमएलसी, नर्सिंग सहित टीकाकरण के प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम मिशन इन्द्रधनुष और शिशु संरक्षण जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
भाजपा ने पूछे 6 सवाल :
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी की खास मौजूदगी में प्रदेश सरकार ने जिस सर्वजन स्वास्थ्य योजना (युनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम) लागू की गई थी, वह प्रदेश में कहीं भी नजर क्यों नहीं आ रही है? प्रदेश सरकार यह भी बताए कि इस योजना के तहत कितने लोगों को जाँच की सुविधा और दवाइयाँ नि:शुल्क प्रदान की गईं?
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गंभीर बीमारियों के लिए प्रदेश में कितने उच्चतम श्रेणी के डॉक्टर्स नियुक्त किए गए? प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा सुविधा से युक्त कितने अस्पताल बनाए गए हैं?
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कांग्रेस ने वादा किया था कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त डॉक्टर्स, नर्स तथा स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती की जाएगी। पूरा कार्यकाल बीतने को है, प्रदेश सरकार बताए कि प्रदेश के अमूमन सभी प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों, दवाइयों व चिकित्सा उपकरणों के संकट से क्यों जूझ रहे हैं?
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कांग्रेस ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नजदीक ही कार्यरत स्टाफ के लिए आवास बनाने का वादा भी किया था ताकि आपात परिस्थिति में मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके। प्रदेश सरकार बताए कि ऐसे कितने आवास बनाकर दिए गए हैं? (यहाँ तो केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बाद भी प्रदेश सरकार ने गरीबों का प्रधानमंत्री आवास तक रोक दिया है!)
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प्रदेश सरकार बताए कि 6 मेडिकल कॉलेजों को मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में बदलने के वादे पर क्या काम हुआ?
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बस्तर, सरगुजा तथा सुपेबेड़ा व अन्य दुर्गम क्षेत्रों में हवाई एम्बुलेंस सेवा प्रदान करने के वादे पर सरकार ने क्या काम किया?
कांग्रेस ने वादा किया था कि संविदा, दैनिक वेतन भोगी और अनियमित कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। लेकिन पौने पांच साल से अधिक कांग्रेस सरकार को हो गए हैं, लेकिन संविदा कर्मचारियों को लेकर कांग्रेस अपना वादा निभाने में नाकाम साबित हुई है।
उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव समय-समय पर सरकार की सच्चाई को जनता से सामने लाते रहते हैं। उन्हें भी मालूम है सरकार ने संविदा कर्मचारियों को ठगने का काम कर रही है। तभी उन्होंने फिर एक बार दोहराया कि मैंने जरूर घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने फैसले को रखा था, लेकिन दिक्कत आ रही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी को सामूहिक रूप से संविदा कर्मचारियों से माफ़ी मांगनी चाहिए।
सरकार की मंशा स्पष्ट हो जाती है। रसोइया, संविदा कर्मी और सचिवों ने अलग-अलग समय पर लम्बे समय से अपनी मांगसरकार के सामने रखी है और कांग्रेस नेताओं को उनका वादा याद दिलाया है। सचिव संघ को तो, 61 कांग्रेस विधायकों ने लिखित समर्थन दिया था और स्वयं मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था पर कांग्रेस की इस सरकार में सब दिखाता है, किसी भी नेता, मंत्री या अधिकारी के शब्दों का कोई मोल नहीं बचा है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की पौने पांच साल में यदि कोई सबसे बड़ी उपलब्धि है, तो वो छत्तीसगढ़ को हड़तालगढ़ बनाना। आये दिन कोई न कोई कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करता रहता है।
उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री श्री टीएस सिंहदेव भले सात समंदर पार कर स्वास्थ्य सेवाओं को देखने गए थे, लेकिन छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था ने रायपुर तक को पार नहीं किया। छत्तीसगढ़ की संवेदनहीन सरकार के कारण आम जनता को जूझना पड़ रहा है। पहले जुडो डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा पटरी से उतरी, फिर अब वेतन विसंगति सहित 5 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन हड़ताल पर चले गए हैं।
इसमें जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर उप स्वास्थ्य केन्द्र के सभी डॉक्टर, नर्स व आरएचओ स्वास्थ्य सेवाएं छोड़कर हड़ताल पर हैं।हड़ताल की सूचना होने के बावजूद भी सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कि जिसका नतीजा यह रहा की मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है।
कांग्रेस की इस अकर्मण्य सरकार ने एक बार फिर अपने अयोग्य होने का उदाहरण देते हुए स्वास्थकर्मियों को अपनी मांगे पूरी करवाने और अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है। छलिया कांग्रेस सरकार ने अपने जनघोषणापत्र में किए वादों को पूरा ना कर स्वास्थकर्मियों के आक्रोश को निमंत्रण दिया है, जिसका खामियाजा मासूम जनता को उठाना पड़ रहा है।
भूपेश सरकार की लापरवाही और कुप्रशासन के कारण आज प्रदेश में 39 हजार से अधिक माताओं की गोद सूनी हो गई। प्रदेश में 39,267 बच्चों की इलाज आदि के अभाव में मौत की बात कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में स्वीकार की है।